चाचा चौधरी
स्पाइडर मैन,सुपर
मैन,बैटमैन कॉमिक्स कि दुनिया से निकले वे किरदार है जिनके पास कुछ अद्वतीय
शक्तिया होती है और दुनिया कि भलाई करने ये निकले है
परन्तु ये सभ किरदार विदेशो मे जन्मे जिसमे सर्वप्रथम 1933 मे superman का प्रकाशन अमेरिका comic book मे हुआ; स्पाइडर मैन का सर्वप्रथम AMAZING FANTASY नामक मे 1961 मे हुआ, इन्ही के समकक्ष
भारत मे कई किरदारो ने जैसे तेनालीराम,गोपीचंद आदि भारतीय कॉमिक्स बाजार मे आने
लगे। उस दौर मे जब विदेशी सुपर हीरो का बोल बाला था तो उसे चुनौती दी 1971 मे लोटपोट नामक
कॉमिक्स मे प्रकाशित हए चाचा चौधरी ने जिन्हें आप भारतीय सुपर
हीरो मान सकते है। भारत मे लोकप्रियता मे चाचा जी के आगे ये बड़े दिग्गज कही नहीं
टिकते थे।
चाचा चौधरी के किरदार को श्री
परमकुमार ने गडा और इसके अतिरिक्त बिन्नी चाची,साबू,rocket कई किरदारों का सृजन किया
जिन्हें अपने बचपन मे आपने और हमने भी शायद जिया होगा।
ग्रामीण प्रष्टभूमि के चाचा
बड़े चतुर थे और गाँव मे चौधरी उन्हें कहा जाता है जो गाँव के बुजुर्ग और सम्मानीय सज्जन होते है तो चाचा चौधरी
अद्वतीय शक्तियो वाले इंसान न होकर एक समझदार व्यक्ति थे जो कई मामलो को अपनी
बुद्धिमता से सुलझाते थे।
चाचा चौधरी
भारतीय सर्जनशीलता के प्रतिक थे कि आधुनिकता के दौर मे भी सहजता , सरलता,भारतीयता
और जमीन से जुड़ाव को लोग पसन्द करते ही है।उनकी कहानिया जमीन से जुडी थी,रोज देखि
जा सकने वाली घटनाओ से सम्बंधित थी। ये काल्पनिक न होकर के वास्तविक थी जो कुछ
नैतिक संदेश देती थी और पढने वाले बाल मन मे भारतीयता के बीज बोती थी।
आज समाज मे ऐसी सर्जनशीलता कि कमी दिखाई पड़ती है जिस कारण 1971 के बाद चाचा चौधरी जैसा कोई
राष्ट्रव्यापी किरदार नहीं बना पर बनेगा भी कैसे जब शिक्षा व्यवसाय बन गयी है
जिसमे बचपन से बच्चे को IIT OR AIIMS के सपने दिखा दिए जाते है ये जाने बिना कि वो क्या
कर सकता है वो क्या नया रच सकता है।
उम्मीद पर दुनिया कायम है और हमें यकीन है कि हमारी आगे आने
वाली पीढ़िया इन विदेशि सुपर हीरो को नहीं
किसी नए भारतीय किरदारों को ही पढेगी जैसे हमने चाचा चौधरी को पढ़ा था।
कल्पित हरित
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