केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारो ने
अपनी पूरी ताकत झोंक दी है ताकि देश मे सम्पूर्ण लॉकडाउन कराया जा सके | मनुष्य की प्रवर्ति है कि
वह किसी भी तथ्य को अपने मस्तिष्क की कसौटी पर कसने का प्रयास करता है | यह कसौटी सवालो को जन्म देती है |
सवाल जैसे लॉकडाउन की आवश्यकता क्यो है इसके पीछे क्या कारण है तो
सिलसिलेवार तरीके से इस प्रशन का उत्तर देने से पहले इस तथ्य को जानने की आवश्यता
है कि :-
कोरोना का संक्रमण फैलता कैसे है ?
WHO के अनुसार संक्रमित व्यक्ति के खाँसने व झींकने पर
उसमे से निकली ड्रोपलेट्स से फैलता है | संक्रमण फैलने के
लिए आवश्यक है कि संक्रमित व्यक्ति अन्य लोगो के संपर्क मे आए |
दूसरी बात यह है कि इसका संक्रमण चैन रिएक्शन की तरह फैलता है | आपने विज्ञान मे अवश्य पढ़ा होगा कि परमाणु बम मे चैन रिएक्शन होती है |
इसका फैलाव भी ठीक उसी प्रकार होता है | कोरोना का एक संक्रमित व्यक्ति अन्य तीन को संक्रमित करता है
इसके बाद ये अन्य तीन अपने अपने स्तर
पर तीन – तीन को संक्रमित करते है अर्थात
तीन से नौ और नौ से सीधे सताइस (27) और इस प्रकार ये चैन बढ़ती जाती है जो विशाल
रूप से समाज मे फैलकर हजारो लाखो लोगो को संक्रमित कर देती है |
इस चैन को कैसे तोड़ा जा सकता है ?
इसका यही तरीका है कि संक्रमित व्यक्तियों को समाज से अलग कर दिया
जाये ताकि वे अन्यों से संपर्क मे आकार चैन को आगे न बढ़ाए | देश मे कई लोग बाहर से यात्रा करके आए है | उसके
बाद वे कितने लोगो से मिले कहाँ कहाँ गए उनसे कौन कौन संक्रमित हुआ और उनसे मिलने
वालो ने कितनों को संक्रमित किया | सरकार के लिए इस चैन को
रोकने मे सबसे बड़ा रोड़ा यह है कि कैसे पता किया जाये की कौन कौन इस वाइरस से
संक्रमित है |
ये कार्य दो तरीके से सम्पन्न हो सकता है :- 1- टेस्टिंग 2- लॉकडाउन
- · टेस्टिंग :- अगर देश के हर व्यक्ति का कोरोना टेस्ट करा लिया जाये और जो संक्रमित निकले उन्हे आइसोलेट (पृथक) कर दिया जाये | ये तरीका जितना सुनने मे सरल है उतना ही अव्यवहारिक भी है क्योंकि भारत जैसे बड़े देश मे टेस्टिंग की क्षमताए बढ़ाने के बाद भी ये असंभव है कि सभी का टेस्ट किया जा सके |
संभवतः ऐसे लोग जिनमे वाइरस होने की संभावना है उनका टेस्ट किया जा
रहा है और इसके अलावा ये जानने के लिए की ये वायरस अभी किस स्तर तक पहुंचा है
सरकार द्वारा हर क्षेत्र से रैनडम सैम्प्ल्स लेकर भी टेस्टिंग कराई जा रही है |
दक्षिण कोरिया ने टेस्टिंग के माध्यम से अपने देश मे इस चैन को तोड़ा
है पर भारत जैसे विशाल देश मे ये तरीका उतना कारगर नहीं है |
- लॉकडाउन :-
जिस व्यक्ति को संक्रमण होता है उसमे भी लक्षण
नजर आने मे कई दिन लग जाते है इस दौरान वह जिन लोगो से मिलता है जिनके संपर्क मे
आता है उन्हे भी संक्रमित कर देता है |
अब यदि कुछ हफ़्तों का लॉकडाउन रहेगा तो वे
व्यक्ति जो संक्रमित है उसमे लक्षण दिखेंगे और उनकी पहचान हो सकेगी साथ ही साथ अगर
इन दिनो मे वह संक्रमित व्यक्ति किसी से संपर्क मे नहीं आया होगा तो वह चैन भी टूट
जाएगी जिसके द्वारा वह अन्य व्यक्तियों तक यह संक्रमण फैलता |
कोई व्यक्ति स्वयं भी नहीं जानता कि वह संक्रमित है या नहीं इसलिए हर
व्यक्ति समाज से एक दूरी बना ले ताकि खुदा न खास्ता अगर कोई संक्रमण हो भी तो वह
उसके माध्यम से प्रसारित न हो पाये इसे ही नाम दिया गया है सोश्ल डिस्टन्सिंग और
इस सोश्ल डिस्टन्सिंग को कायम करने के लिए सरकार ने लागू किया है कंप्लीट लॉकडाउन ( अर्थात सब
कुछ बंद , आवश्यक चीज़ों को छोड़कर )
लॉकडाउन कि जरूरत :-
जब तक इस वायरस की कोई वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक केवल इसे रोकना ही
उपाय है जिसमे उस संक्रमण चैन को तोड़ने का काम लॉकडाउन ही करेगा | अगर ये लॉकडाउन नहीं हुआ तो आप अंदाज़ा नहीं लगा सकते की भारत जैसे विशाल
देश मे आंकड़े कहाँ तक जा सकते है |
भहावय स्थिति:-
अमेरिका जिस देश का स्वास्थ्य सुविधाओ को लेकर पहला स्थान है उसमे
50000 से ज्यादा लोगो मे वायरस की पुष्टि हो चुकी है | इटली जो स्वास्थ्य सेवाओ मे दूसरे स्थान पर है उसमे हालत ये है कि सरकार
को सोचना पड़ रहा कि बच्चो को बचाने को प्राथमिकता दी जाये |
वंहा मौतों का आंकड़ा ही 6000 से ज्यादा हो चला है |
जबकि हमारे भारत का स्वास्थ्य सेवाओ मे 112 वां स्थान है | हमारे यंहा वैंटिलेटर और जनसंख्या का अनुपात हो या डॉक्टर और जनसंख्या का
सभी इन देशो की तुलना मे कई गुना ज्यादा है | हम इस स्थिती
मे नहीं है कि हम इसके फैलने की कल्पना भी कर सके हमारे लिए तो आज की तारीख मे
रोकथाम ही अंतिम उपाय है |
मुन्नवर
राणा की पंक्तिया है “बस तू मिरी आवाज़ से आवाज़ मिला दे
फिर देख कि इस शहर में क्या हो नहीं सकता ”
कल्पित हरित
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