दंड संहिता की धारा 376 के अनुसार रेप की सजा 10
वर्ष है | जबकि मर्डर के केस मे धारा 302 के अनुसार मौत की सजा और आजीवन कारावास की
सजा है |
सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयो मे स्पष्ट है कि मौत
कि सजा केवल उसी स्थिति मे ही दी जाएगी जब के अपराध “RARE OF THE RAREST” कैटेगरी का हो |
इस RARE OF THE
RAREST सिद्धांत को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वप्रथम बचन सिंह बनाम स्टेट
ऑफ पंजाब के केस मे कुछ इस तरह से व्याख्यित किया कि “इस प्रकार कि जघन्यता जिसमे
कोई अन्य विकल्प न्याय करने के लिए बचता ही ना हो उसे RARE OF THE RAREST माना जाएगा | 2012
के निर्भया केस को भी अदालत ने इसी कैटेगरी मे रखते हुए कहा फांसी से कम कुछ न्याय
हो ही नहीं सकता |
अभी तक कोई भी निश्चित परिभाषा तय नहीं हो पायी है
कि किसे आप RARE OF THE RAREST मानेंगे तो फिर चाहे हैदराबाद हो
, उन्नाव हो , मालदा हो या कोई अन्य
केस जिन्होने मानवता को झकझोर के रख दिया हो | जिनके लिए
न्याय कि आस न केवल पीड़ित और उसके समाज को हो बल्कि पूरा देश को हो | जिसमे न्याय से राहत पूरे देश को मिलती हो और हैदराबाद मे भी ऐसा ही हुआ
जब खबर निकाल कर आई कि चारो अपराधी ढेर हो गए है तो उस ठंडक को हर किसी ने अपने
कलेजे मे महसूस किया किया जैसे आज उस के साथ ही न्याय हो गया हो और उसे इस बात से
कोई फर्क नहीं पड़ता कि न्याय अदालत के रास्ते हुआ या सड़क पर खड़े होकर | जिसका प्रगटिकरण जश्नो , नारो , उल्लास के रूप मे देश मे देखा गया |
हम लोकतान्त्रिक देश मे है जंहा सड़क पर न्याय का
कोई औचित्य नहीं है हमारे पास सशक्त कानून है जिसकी एक प्रक्रिया है | यही वह प्रक्रिया है जो इतनी लंबी है कि इसमे सालो ट्राइल मे चले जाते है
फिर आगे से आगे पिटिशन फिर मर्सी पिटीशन और स्थिति “जस्टिस ड़ीले जस्टिस डेनाय ”
वाली हो जाती है | इतने लंबे समय के बाद हुआ निर्णय न तो दिल
को सुकून देता है न ही न्याय तंत्र मे विश्वास उत्पन्न करता है |
जब केस कि कैटेगरी अलग है हम आम अपराध से अलग उसे RARE OF THE RAREST मान ही रहे है तो उसके लिए भी वही
सामान्य न्याय प्रक्रिया अपनाकर हम न्याय के नाम पर पूरे सिस्टम का मज़ाक बना रहे
है इस तरह के केसो कि प्रक्रिया अलग होनी चाहिए जो त्वरित हो | इन केसो मे जंहा पूरा देश केवल न्याय का इंतज़ार कर रहा हो लंबी
प्रक्रियाए असहिष्णुता को जन्म देती है |
ये वक्त है जब RARE OF THE
RAREST को परिभाषित कर उसके लिए त्वरित न्याय कि प्रक्रिया तैयार की
जाये वरन चाहे उन्नाव हो या हैदराबाद , मालदा हो या कोई अन्य
अगर सड़क पर कानून तांक पर पर रखकर भी न्याय होगा तो खुशी मनाई जाएगी |
आंखो पर पट्टी बांधे न्यायालयों मे खड़ी न्याय की
मूर्ति जब हैदराबाद के एंकाउंटर की खबर पाकर ये सोच के मुस्करा दी होगी कि भले
कानूनी प्रक्रियाओ का कुछ भी हुआ हो पर आज न्याय तो हो ही गया |
कल्पित हरित
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