Thursday, 11 May 2017

कशमकश

अजीब सी कशमकश है ये-
यहाँ जीने के लिए हर पल मरना पड़ता है
हर सपने को परिस्तिथियों से समझौता करना पड़ता है
टूटे दिल के आखो से निकले अरमानो को तो बस
ग़ालिब के बोल सहलाते है

और ग़ालिब के शेयर हमें याद आते है

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