Thursday, 2 February 2017

“दंगल 2”

दंगल 2

वैसे तो पांच राज्यों मे चुनाव का बिगुल बज चूका है और सभी दल अपनी- अपनी बिसाद भी बीछाने लग गए है। पर इन सभी मे सबसे महत्वपूर्ण चुनाव है तो उत्तर प्रदेश का ही है कयोकि भारतीय राजनीति मे उत्तर प्रदेश एक एसा गड है जिसे फतह किये बिना केंद्र कि सत्ता मे काबिज होना मुश्किल है।
तो ये चुनाव भविष्य कि संभावनाओ का चुनाव भी होगा। इस चुनाव के नतीजे इस बात का संकेत भी देगे कि 2019 के लिए संगठित विपक्ष का चेहरा क्या होगा और उसका नेता होगा कौन। कहते है राजनीति संभावनाओं का खेल है और आज इन्ही संभावनाओं को टटोलने कि कोशिस हम करेगे कि कैसे कैसे समीकरण बन रहे है और किस सोच के साथ कौन सा दल कैसे उन्हें भुना रहा है।
उत्तर प्रदेश मे कई जातिया है और हर राजनीतिक दल इनको target  करते हुए  अपनी रणनीति तय करते है। आकड़ो के अनुसार उत्तर प्रदेश मे:-
मुस्लिम-19%
दलित(SC-ST)- 20-22%
पिछड़ा (OBC)- 45%;  (पिछड़ा वर्ग मे 9% यादव जो कि लगभग 4% है पूरी जनसँख्या का है तथा यादवो के अलावा कुर्मी, नाइ ,मौर्या ,कुशवा आदि लगभग 39%है )
ब्राह्मण-13%
ठाकुर-7%

·       समाजवादी-कांग्रेस गठ्बंधन:-

प्रदेश मे किसी भी तरह मुस्लिम वोट को साधने के लिए ये गठबन्ध किया गया है इनकी नज़र अगड़ा वर्ग(ब्राह्मण-ठाकुर) के लगभग 20-22%और मुस्लिम के 19% वोटो पर है जिसका कुल योग 41%  लगभग होगा और इसी के साथ यदि समाजवादी का पारंपरिक वोटर यादव भी इस मे मिला लिया जाये तो आसानी से दंगल जीता जा सकता है।
इसी बीच परिवार वाद से दूर और साफ छवि वाले के रूप मे अखिलेश ने अपनी छवि को पेश किया जिस कारण उन्होंने कोमी एकता दल के विलय का विरोध किया कयोकि उनकी छवि दागदार थी और उनके साथ खड़े होने से अखिलेश कि साफ़ छवि धूमिल हो सकती थी और अगर अखिलेश कि ये छवि पिछडे वर्ग मे कुछ हद तक सेंध लगा देती है तो ये दंगल का परिणाम काफी हद तक उनके पक्ष मे हो सकता है।
कांग्रेस को शामिल कर बसपा कि तरफ मुस्लिम वोट शिफ्ट न हो जाये और उसे  अपने पक्ष मे रखने का प्रयास हो रहा है। वर्तमान मे कांग्रेस हर उस दल के पीछे खड़े होने को तैयार है जो बीजेपी को रोक सके और अपने दम पर आज चुनाव मे जाने लायक स्थिति मे कांग्रेस है नहीं तो गठबंधन उसकी मज़बूरी भी है और जरुरत भी।
 अगड़ा (ब्राह्मण,ठाकुर)    + मुस्लिम +यादव = समाजवादी-कांग्रेस गठ्बंधन
           
·       बी.जे.पी :-

पिछाडा वर्ग (नॉन यादव) जो कि खुद लगभग 39% है विकास के नाम पर नरेन्द्र मोदी को वोट देगा और इसके साथ अगर ब्राह्मण का 13% भी मिल जाये तो उत्तर प्रदेश मे फतह हो सकती इसके सहारे बी.जे.पी चुनाव के मैदान मे है।
इसी के चलते उत्तर प्रदेश मे बी.जे.पी ने सबसे जयादा ब्राह्मणों को टिकेट दिए है और राम मंदिर का मुद्दा अपने घोषणा पत्र तक मे रखा है ताकि ब्राह्मण वोटो मे सेंध लगाई जा सके और पिछाडा वर्ग(जो कि हिन्दू वर्ग है) को साथ लाने के लिए साधू, साध्वी निरंजन ज्योति ,योगी आदित्य नाथ जी सभी मैदान मे है जो अपने बयानों द्वारा हिन्दू ,मुस्लिम कि बात करते हुए हिन्दू अर्थात पिछडे वर्ग को साथ लाने का प्रयास करेगे ही।
बी.एस.पी से बी.जे.पी मे शामिल हुए प्रदेशा अध्यक्ष केसव प्रसाध मोर्य दलितो मे मोर्य और कुशवा को प्रभावित करेगे इस उद्देश से उनका बी.जे.पी मे आना भी इस लिहाज से लाभप्रद हो सकता कि ये मायावती जी दलित वोटरों मे एक बड़े मोर्य और कुशवा को बी.जे.पी कि तरफ लाकर बी.स.पी का गणित बिगाड़ सकते है।

         पिछाडा (नॉन यादव) + ब्राह्मण = बी.जे.पी
·       बी.एस.पी :-

बी.एस.पी कि पूरी राजनीति ही दलित पर केन्द्रित है जो 20-22% है तो इनका भी मुसलमानों का साथ लिए बिना दंगल मे बेडा पार होना मुश्किल प्रतीत होता है। और इसी कारण मायावती जी ने सबसे जयादा टिकेट मुसलमानों को दिए है और अंसारी बंधुओ(कोमी एकता दल) को भी ये कहते हुए शामिल कर लिया कि इनपर लगे इलज़ाम अभी तक साबित नहीं हुए है।
                दलित+ मुस्लिम = बी.एस.पी      

·       अनुमान:-
1.     प्रस्तुत विवेचना और मेरे अनुमान के अनुसार BSP और समाजवादी गठबंधन दोनों मुस्लिम वोटरों को लुभाने का प्रयास करेगे जिस कारण मुस्लिम वोटो का बिखराव होना संभव है और पूर्ण रूप से किसी के पक्ष ने नही जाएगा।
2.     मुस्लिम वोटो के अलावा देखे तो समाजवादी-कांग्रेस गठबन्ध का अगड़ा+यादव वोट कुल 24% लगभग होता है जो मायावती जी के दलित वोटर 20-22% के सामान ही है इसकी तुलना मे बी.जे.पी का पिछाडा वोटर 39% के साथ इन दोनों से कई ज्यादा है।
3.     इसी के साथ अगर ब्राह्मण वोटर भी गठबंधन और BJP मे बटता है तो उसका फायदा BJP को होगा ही साथ ही अपनी साफ़ छवि और विकास के नाम पर अखिलेश भी BJP के पिछड़े वोटर को प्रभावित कर सकते है।
4.     संभवतः BJP और समाजवादी-कांग्रेस गठबन्ध मे कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है पर मेरे अनुसार कयोकि पिछड़ा वर्ग काफी बड़ा है और उसके ज्यादा बिखराव के आसार भी नही है और वो विकास के नाम पर मोदी जी को वोट देगा और BJP का पलड़ा भारी रहेगा

   

कल्पित हरित