Monday, 13 January 2020

विचारधाराए

कहने को तो प्यार और जंग मे सब जायज है पर इससे इतर सत्ता हांसिल करना भी एक ऐसी जंग है जिसमे कुछ भी नाजायज नहीं है फिर चाहे वो विचारधारा ही क्यो न हो |
लेकिन आज कल जबसे छात्र सड़को पर है तब से विचारधाराओ की बाते प्रमुख मंचो से होने लगी जिसमे कई शब्द जैसे leftist ,rightist, कम्यूनिस्ट,फासिस्ट socialist आजकल आपको काफी सुनने मे आ रहे होंगे |
 लगातार हो रही इन बहसो को समझने और तथ्यात्मक निर्णय पर पहुँचने से पहले आवश्यक है कि हम इन विचारधारों को समझ ले |
Leftist और rightist शब्दो की उत्पत्ति हुई थी फ्रांसीसी क्रांति से | फ़्रांस के राजा ने 1789 वंहा के लोगो की एक मीटिंग बुलाई जिसे estate general कहा गया उसमे sitting arrangement इस प्रकार का था कि वे लोग जो परिवर्तन चाहते थे, जो चाहते थे की राजा जनता द्वारा चुना जाये लेफ्ट साइड मे बैठे थे इनमे वंहा का मजदूर शोषित वर्ग शामिल था जिसे व्यवस्था परिवर्तन की चाहत थी , वंही जो सम्पन्न वर्ग था तथा चर्च के पाधारी थे जो परिवर्तन नहीं चाहते थे और राजशाही के साथ थे , उनका मानना था की जो व्यवस्थाए चल रही है उनमे परिवर्तन नहीं आना चाहिए ऐसे लोग right side मे बैठे थे |
अभी जो तस्वीर आपकी स्क्रीन पर आप देख रहे है वह 1789 कि फ़्रांस कि नेशनल assembly की है जिसमे जो लोग पुरानी परम्पराओ मे बदलाव नहीं चाहते थे वे right side मे बैठे है ये लोग rightist या conservative कहलाए  और जो बड़े स्तर पर बदलाव लाना चाहते थे वे left side मे बैठे और leftist या republican कहलाए |
चलिये एक एक करके इन्हे समझना शुरू करते है :-
Lefitist  वे कहलाते है जो अपने आप को समाजवादी , उदारवादी , और साम्यवादी बताते है | इनकी मुख्य मान्यताए ये है कि समाज मे बराबरी हो , धर्म और राज्य अलग अलग रहे प्र्भावी धर्म का प्रभाव नीतियो पर न हो , आर्थिक मामलो मे सरकार का कंट्रोल हो , मुक्त व्यापार के ये खिलाफ है इनका मानन है कि बाहर से आने वाले माल की बिक्री से देश मे उत्पादन करने वालो का अहित होता है |
समाजवाद और साम्यवाद दोनों left की विचारधाराए है समाजवादी मानते है कि देश के संसाधनो पर सभी का बराबर का हक है इसलिए सरकार का कर्तव्य है कि वह जिनके पास ज्यादा है उनसे लेकर आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगो की मदद करे हमारे देश मे ऐसा होता भी है अधिक कमाने वालो से अधिक tax लिया जाता है इसलिए हम एक समाजवादी देश है जिसका जिक्र संविधान की प्रस्तावना मे भी है समाजवाद एक सशक्त सरकार की भूमिका को महत्वपूर्ण मानता है  जबकि इसके विपरीत ये एक राजनीतिक संचना हैं, जहाँ संसाधनों पर समाज का अधिकार तो होता हैं लेकिन बदले में व्यक्ति की ज़रूरतें समाज ही पूरी करता हैं | साम्यवादी सरकार की भूमिका समाज मे नहीं मानते न ही वर्गो को स्वीकार करते है इसलिए personal property का अधिकार नहीं देते क्यूकी संपति से समाज वर्गो मे बंट जाता है |
भारत की अगर बात करे तो काँग्रेस पार्टी विचारधारा मे कुछ जुकाव लेफ्ट की ओर रखती है | AAP का काँग्रेस से ज्यादा लेफ्ट की ओर जुकाव है जबकि cpi ओर cpi (m) पूर्ण रूप से लेफ्ट की विचारधारा की समर्थक पार्टी है |
अब बात करते है right wing की वे लोग जो अपनी प्राचीन परम्पराओ को सहेज के रखने की बात करते है उनमे परिवर्तन का विरोध करते है तथा राष्ट्रवादी होने की बात कहते है rightist कहलाते है
इनकी मान्यताए है कि सरकारो का लोगो के आर्थिक और सामाजिक जीवन मे हस्तशेप न हो | ये राष्ट्रवाद को अति महत्व देते है | धार्मिक व सान्स्क्र्तिक परंपाए संरक्षित करे पर ज़ोर देते है और मुक्त व्यापार के समर्थक है | ये बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए एक comman सिविल code कि बात करते है |
भारत के परिपेक्ष मे BJP RIGHTIST पार्टी व RSS भी rightist विचारधारा वाला समर्थक है | जिस प्रकार अत्यधिक रूप से लेफ्ट की विचारधारा वाले लोग कम्यूनिस्ट कहलाते है उसी प्रकार अत्यधिक रूप से rightist विचारधारा के समर्थक फासीवादी कहलाते है और फासीवाद का एक उधारण हिटलर था |
पर भारत ऐसा जंहा विचारधारा से पहले देशहित सर्वोपरि है इसलिए left कि और झुकाव वाली काँग्रेस ने 1991 मे मुक्त व्यापार के रास्ते खोले जिसका समर्थन rightist द्वारा किया जाता है वंही राइट विंग का संघटन RSS है पर उसका स्वदेशी जागरण मंच और मजदूर संघ देश के मजदूरो के हक कि बात करते है जिसके लिए लेफ्ट विचारधारा मशहूर है |
अतः सार यही है कि इस देश की खासियत यही है की तिरंगे के नीचे रह कर हम कोई भगवा , लाल , हरा कोई भी झण्डा उठा सकते है पर जब बात तिरंगे की आती है तो सभी झंडे छोड़कर सभी के हाथ मे केवल तिरंगा दिखता है |
इसलिए मोहम्मद इकबाल ने सही कहा है
यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से।अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।।

कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।।

कल्पित हरित