मेरे और मेरे पड़ोसी के बीच जमीन के
टुकड़े को लेकर जब से विवाद चलता आ रहा था जब से हमने मकान बनवाया था। असल में अगर
किसी भी सरकारी दस्तावेज या local
authority के नक्शे में देखा जाए तो उस जमीन पर
मालिकाना हक तो मेरा ही था परन्तु मेरा पड़ोसी उसे जबदस्ती हथियाना चाहता था काफी
सालों तक मतभेदों का सिलसिला चलता रहा। कभी-कभी इस मुद्दे पे हम बैठ के बात कर
लिया करते थे तो कभी कभी बातचीत बंद रहा करती थी। साल बीतते गये और मेरी समृद्धि ,
सफलतांए
आदि बढ़ती गयी परन्तु पड़ोसी हमेशा समृद्धि के मामले मे पीछे ही रहा।
जमीन के उस टुकड़े को कहीं पड़ोसी हथिया न
ले इसके लिए हमने बड़े ही काबिल चौकीदार भी रखे हुए थे फिर भी उसके चौकीदारो ने कई
बार हिमाकत करके जमीन के हिस्से को हथियाने की हिमाकत कि परन्तु हमारे चौकीदारों
के सामने वे टिक नही पाते थे उपर से पूरा महौल्ला भी मेरे पड़ोसी को बार-बार उसकी
हरकतों के लिए टोकने लगा, मेरा पड़ोसी समझ गया
कि इस तरह से उसे यह जमीन का टुकड़ा हासिल नहीं हो पयेगा।
अब जब हमारे पडोसी की सभी कोशिशे नाकाम
होती रही तो उसने अपने घर में चार-पांच कुत्ते पाल लिए और पडोसी के चौकीदारों ने
हमे परेशान करने के लिए उन कुत्तों को हमारे घर की तरफ छोड़ना शुरू कर दिया जैसे ही
हमारे चौकीदार थोड़े से इधर उधर होते वो मौका मिलते ही किसी कुते को हमारे घर की
तरफ छोड दिया करते थे कभी वो कुत्ते हमारे घर के बच्चों को नुकसान पहुंचाया करते
थे तो कभी सामान आदि का नुकसान कर दिया करते थे। हमे परेशान करने का ये तरीका
हमारे पड़ोसी को बड़ा ही रास आने लगा। एक दिन हमने उसके द्वारा भेजे गये तीन कुत्तों
को हमने पकड़ लिया और अपने घर मे कैद कर लिया। इस बात की जानकारी मिलते ही उस पड़ोसी
ने बड़ी निचता दिखाते हुए हमारे घर के कुछ बच्चों का अपहरण कर लिया हमारे लिए
बच्चों की जान अनमोल थी तो हमने तीनो कुतों को तुरन्त छोड़ दिया।
अब ये तीनों कुते हमारे यहां से छुटकर
फिर अपने असली घर में चले गये। अब मेरे पड़ोसी के कुतों ने महौल्लों के जंगली कुतो
को भी अपना दोस्त बनाना शुरू कर दिया और मेरे पड़ोसी का घर पूरे महौल्ले के कुतों
का प्रमुख अड्डा बन गया पहले तो ये कुते हमे ही परेशान करते थे परन्तु धीरे-धीरे
ये कुते पूरे महौल्ले के लिए परेशानी का सबब बनने लगे।
जब महौल्ले वालों ने हमारे पडोसी को कहा
की इन कुतो को महौल्ले से बाहर निकाला जाये तो उसने साधनों कमी का बहाना बना दिया
महौल्ले वालों ने खुद की भलाई के लिए चंदा इक्ठ्ठा कर उसे दिया कि इससे आप साधनों
की व्यवस्था करें और कुतो को महौल्ले से बाहर कर दे। परन्तु ये तरीका हमारे पडोसी
को बड़ा अच्छा लगा अब वो कुतो का खौफ दिखा कर महौल्ले वाले से चंदा लेने लगा
क्योंकि ये कुते अब उसकी आय का अच्छा जरिया बनने लगे तो उसने कुतो को भगाने के
बजाय अच्छी सुविधांए दी उन्हे अच्छे से खिलाने पिलाने लगा ताकि वे और शक्तिशाली हो
जाएं।
धीरे -धीरे कुते शक्तिशाली होने लगे और
पडोसी के चौकीदार कुतो को रोज घुमाने ले जाते तो कुते अपने मालिक से ज्यादा
चौकीदारो के प्रति अधिक वफादार थे चौकीदार जैसा निर्देश देते वैसा ही कुते करते
चौकीदारों के इशारों पर वे लोगों को काटते हमारे घर मे आके भी परेशानी उत्पन्न
करते और मारे जाते।
अंततः हुआ ये की चौकीदारों और कुतों की
शक्तियां इतनी ज्यादा हो गयी की अब वे मालिक को ही खाने को दौड़ने लगे मालिक केवल
नाम मात्र का रह गया उसकी चौकीदार और कुतो के सामने कुछ नही चलती थी। वे मालिक के
परिवार तक को भी हानि पहुंचाने लगे।
अब मालिक का उनपर कोई कंट्रोल नहीं है
वे बिचारा बेबस है क्योंकि जब महौल्ले वालों द्वारा चंदा देने के बावजूद भी उसने
कतों को बाहर नही किया तो अब महौल्ले ने भी चंदा देना बंद कर दिया है। आज स्थिति
ये है कि चौकीदार जो काम नहीं कर पाते वे कुतो से करवाते है और बदले में चौकीदार
खुद ही कुतो की रक्षा करते है दुसरी और मालिक और उसका परिवार बेचारा बेबस पूरे
महौल्ले से मुंह छिपाता फिरता है क्योंकि अब उसे कोई चंदा क्या भीख देने को राजी
नहीं है।
तो अब आपको इस काल्पनिक कहानी के असली
किरदारों से मिलाते है। यहां मेरा पड़ोसी पाकिस्तान है। कुतो का मालिक पाकिस्तान
सरकार है और मालिक का परिवार पाकिस्तान की जनता है। पड़ोसी के चौकीदार पाकिस्तान
सेना और आईएसआई है और कुते तो कुते ही है पर इस कहानी के परिपेक्ष्य में ये
आतंकवादी है।
जमीन जिसे लेकर विवाद है वो कश्मीर है।
NOTE:-
हमाने यहां आतंकवादियो
को कुता कहकर, कुता प्रजाति का जो अपमान किया है उसके
लिए हम क्षमा प्राथी है।
कल्पित हरित